बांग्लादेश की इकलौती हिंदू पार्टी है BSP, लेकिन मंडरा रहा खात्मे का खतरा! जानें क्या है वजह

बांग्लादेश में घटती हिंदू आबादी के बीच अब वहां के राजनीतिक पार्टी पर भी खतरा मंडरा रहा है. बांग्लादेश में एकमात्र हिंदू संगठन, बांग्लादेश सनातन पार्टी (बसपा) को अब साल 2026 में होने वाले बांग्लादेशी चुनाव में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. बीएसपी के संस्थापक और महासचिव सुमन कुमार रॉय ने कहा कि बांग्लादेश में चुनाव आयोग स्वतंत्र नहीं है, बल्कि यहां की मोहम्मद यूनुस सरकार या सेना अधिकारियों के इशारों पर काम करती है.'
पार्टी कार्यालय बनाने की जरूरत
न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक सुमन कुमार रॉय ने बताया कि बसपा के पास 120 उप-विभाग और 50 से ज्यादा समितियां हैं और इसके लिए उसे कम से कम कुल 122 पार्टी कार्यालयों की जरूरत है, लेकिन इसमें बहुत पैसा लगेगा और यहां तो पंजीकृत पार्टियों के पास आज भी 122 पार्टी कार्यालय नहीं है. उन्होंने कहा कि वो अंतरिम सरकार को ये तर्क देने की कोशिश कर रहे हैं कि बसपा को राजनीतिक मैदान में उतारना दोनों पक्षों के लिए क्यों फायदेमंद है.
आखिर क्यों हुई बसपा (बांग्लादेश सनातन पार्टी) की स्थापना?
बीएसपी के गठन के बारे में बात करते हुए रॉय ने कहा, 'मैं शेख हसीना के खिलाफ नहीं हूं. उनके पास प्रशासनिक ज्ञान बहुत अच्छा था, लेकिन वो हिंदुओं को सिर्फ वोट बैंक समझती थीं. उनकी एक बड़ी कमी यह थी कि वह सभी को खुश रखना चाहती थीं, चाहे वह भारत हो या चीन. कट्टरपंथियों और हिंदुओं को समान रूप से देखा करती थीं, आप ऐसा नहीं कर सकते. यही कारण है कि हमें 2022 में इस पार्टी की नींव रखनी पड़ी.
बसपा को नहीं मिली राजनीतिक मान्यता
बता दें कि बांग्लादेश में बसपा का गठन 26 अगस्त, 2022 को हुआ था. बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के कारण उस समय की प्रधानमंत्री शेख हसीना इस पार्टी को राजनीतिक संगठन के रूप में पंजीकृत मान्यता नहीं दे पाईं. वहीं चुनाव आयोग के अनुसार, एक राजनीतिक पार्टी को पंजीकरण कराना अनिवार्य है.
2022 की जनगणना के अनुसार, बांग्लादेश में 1.31 करोड़ से कुछ ज़्यादा हिंदू थे, जो देश की आबादी का 7.96% थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, 5 अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को गिराने के बाद से बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं पर 50 से अधिक जिलों में 200 से ज्यादा हमले हुए हैं. हालांकि बांग्लादेश सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने हिंदू समुदाय के नेताओं को आश्वासन दिया था कि हम सब एक हैं और सभी को न्याय मिलेगा.
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