शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में उगाई मेथी और मूंग, उनके वापस लौटने के बाद इन पौधों को पानी कौन देगा?

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में पहुंचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को धरती पर वापसी कर सकते हैं. उनका अंतरिक्ष यान 14 जुलाई को बाकी तीन साथियों को लेकर धरती के लिए अपना सफर शुरू करेगा. जानकारी के मुताबिक, 15 जुलाई को भारतीय समयानुसार करीब 3 बजे शुभांशु शुक्ला धरती पर वापस लौटेंगे. स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास प्रशांत महासागर में होगी.
नासा के एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला बाकी तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे. इस दौरान शुभांशु शुक्ला ने ISS में कई प्रयोग भी किए हैं. इन प्रयोगों में स्पेस स्टेशन में मूंग और मेथी की खेती भी शामिल है.
पेट्री डिश में उगाई मूंग और मेथी
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में किसान की भूमिका भी निभाई है. उन्होंने पेट्री डिश में मूंग और मेथी के बीजों की खेती की है, इसे स्पेस स्टेशन के फ्रीजर में रखा गया है. इस प्रयोग का मकसद यह जानना है कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अंकुरण और पौधों के प्रारंभिक विकास को किस तरह प्रभावित करता है.
वापस लौटने के बाद कौन करेगा पौधों की सिंचाई?
अगर मौसम और सभी परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को स्पेस स्टेशन छोड़ देंगे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि शुभांशु के स्पेस स्टेशन छोड़ने के बाद उनके द्वारा उगाए गए पौधों की सिंचाई कैसे होगी? क्योंकि यह बात बहुत ही स्वाभाविक है कि किसी भी बीज या पौधे के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है, लेकिन क्या अंतरिक्ष के वातावरण में भी ऐसा होता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें स्पेस में खेती के मैथेड को समझना होगा. दरअसल, स्पेस में किसी भी पौधे को उगाने के लिए खास तरह की पिलो डिजाइन की जाती है. यह एक तरह का चैंबर होता है, जो पौधों की जड़ों तक पानी, पोषक तत्व, ऑक्सीजन व फर्टीलाइजर पहुंचाता है. वहीं ग्रैविटी और सूर्य की रोशनी के लिए इन पौधों को आर्टिफिशियल न्यूट्रीएंट्स दिए जाते हैं. इससे एक बात साफ है कि स्पेस में उगाए गए पौधों को अलग से पानी या खाद देने की जरूरत नहीं पड़ती है. इस चैंबर में पहले से ही पूरी व्यवस्था होती है.
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