क्या किसी को भी राज्यसभा सांसद मनोनित कर सकते हैं राष्ट्रपति?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार लोगों को मनोनीत किया है. इनमें प्रतिष्ठित सरकारी वकील उज्जवल देवराव निकम, केरल के सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सी सदानंद मस्ते, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और इतिहासकार व शिक्षाविद् मीनाक्षी जैन शामिल हैं. ये नामांकन इसलिए किए गए हैं, क्योंकि इससे पहले जिनका नामांकन हुआ था, वे अब सेवानिवृत्त हो चुके थे और उनकी सीटें खाली पड़ी थीं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राष्ट्रपति किसी को भी उठाकर मनोनीत कर सकते हैं, या इसके पीछे भी कोई नियम होता है. चलिए इस बारे में जानें.
कैसे चुने जाते हैं मनोनीत सदस्य
राज्यसभा में अधिकम 250 सदस्य होते है. इनमें से 238 सदस्य अलग-अलग राज्यों के प्रतिनिधि के रूप में चुनकर आते हैं राज्यसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 245 है, जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर के प्रतिनिधि हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं. संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत राष्ट्रपति राज्यसभा के सदस्यों तो मनोनीत कर सकते हैं. इसके लिए प्रधानमंत्री उनको सहाल देते हैं और एक तरह से उनके कहने पर ही उन सदस्यों को मनोनीत किया जाता है. इन सदस्यों के लिए चुनाव नहीं किए जाते हैं और न ही ये किसी राजनीतिक दल से आते हैं. हां एक बार राज्यसभा में आने के बाद वे किसी दल में जा सकते हैं.
किन क्षेत्रों से होता है चुनाव
राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत सदस्यों का चुनाव साहित्य, विज्ञान, कला, खेल जगत, सामाजिक सेवा में बेहतरीन काम करने वालों को राज्यसभा में मनोनीत किया जाता है. इन सदस्यों को चुने गए सदस्यों की तरह ही अधिकार मिलते हैं. वे सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेते हैं, चर्चा में भाग ले सकते हैं और बिल पास करने में शामिल हो सकते हैं. वे बिल के पक्ष या विपक्ष में वोट कर सकते हैं, लेकिन वे राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं कर सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट दे सकते हैं. बाकी के सांसद सदस्यों की तरह ही उनको भत्ता व आवास मिलता है, लेकिन उनको अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं देनी होती है, जबकि चुने हुए सांसदों को जानकारी देनी होती है.
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