बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराने पर कितनी मिलती है सजा, BNS की किस धारा में होती है कार्रवाई?

त्तर प्रदेश से लेकर पूरे देश में इन दिनों छांगुर बाबा सुर्खियों में छाए हुए हैं. कुछ दिन पहले यूपी एटीएस ने बलरामपुर जिले से उसे गिरफ्तार किया था. छांगुर बाबा पर अवैध तरीके से धर्मांतरण कराने का आरोप है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोप लगाय है कि छांगुर बाबा धार्मांतरण का संगठित रैकेट चला रहा था और इसके लिए विदेशों से करोड़ों की फंडिंग भी की जा रही थी. विदेशों से फंडिंग मामले में छांगुर बाबा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय(ED) भी जांच कर रही है. जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा से जुड़े कई खातों में करोड़ों का लेनदेन हुआ है.
छांगुर बाबा के केस में आए दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. इस बहाने जान लेते हैं कि छांगुर बाबा की तरह बहला-फुसलाकर किसी का धर्म परिवर्तन कराने पर कितनी सजा मिलती है. भारतीय न्याय संहिता में इसके तहत किसी धारा में कार्रवाई होती है और उत्तर प्रदेश में इसको लेकर क्या कानून है?
अवैध धर्मांतरण पर है रोक
भारतीय संविधान के मुताबिक, देश में रहने वाले हर नागरिक को स्वेच्छा से किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकार है. यानी अगर कोई व्यक्ति हिंदू धर्म में पैदा हुआ है तो वह 18 वर्ष की उम्र के बाद अपनी मर्जी से किसी और धर्म को स्वीकार करना चाहता है तो यह अपराध नहीं है. हालांकि, संविधान में अवैध धर्मांतरण को अपराध बताया गया है. यानी, अगर कोई व्यक्ति किसी को बहला-फुलसाकर, पैसे का लालच देकर या डरा-धमकाकर धर्म परिवर्तन कराता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
भारतीय न्याय संहिता में इस धारा में मिलती है सजा
भारतीय न्याय संहिता में अवैध धर्मांतरण को परिभाषित किया गया है. इसमें कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को किसी भी तरह का लालच देकर या पहचान छुपाकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आएगा और यह गैर जमानती होगा. ऐसे मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 298 और 302 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें 10 साल तक की सजा का प्रावधान है.
उत्तर प्रदेश में अलग से है कानून
भारत के कई राज्यों में अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए अलग से कानून बनाया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है. अगर यूपी के धर्मांतरण कानून को देखा जाए तो यह एक तरह से देश के सबसे कठोर धर्मांतरण कानूनों में से एक है. उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के मामले में 10 लाख रुपये जुर्माना और 14 साल की जेल हो सकती है. अगर एससी/एसटी समुदाय या नाबालिक लड़की का धर्मांतरण किया जाता है तो ऐसे मामले में 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. ये सभी अपराध गैर-जमानती श्रेणी में रखे गए हैं.
What's Your Reaction?






