औरंगाबाद में किशोरी का अपहरण का आरोप एक युवक पर लगा है। किशोरी 1 जुलाई को घर से स्कूल के लिए निकली थी। परिजन कह रहे कि किशोरी को रास्ते से युवक ने किडनैप कर लिया। उसी दिन थाने में आवेदन दिया था, लड़के के पिता को थाने बुलाया गया। आरोपी रोहित के पिता ने कहा कि 8 दिन में बेटे को सामने लेकर आएंगे। किशोरी के परिजन का कहना है कि 8 दिन बाद पुलिस को फोन किया तो कुछ नहीं बताया। पुलिस नाबालिग को लड़के साथ 10 जुलाई को ही थाने पर ले आई थी। चार दिन तक उसे थाने पर रखा गया। कोर्ट नहीं ले जाया गया। किशोरी के परिजन का आरोप है कि पुलिस आवेदन बदलने के लिए कह रही थी। आवेदन की तिथि 11 जुलाई करने को कहा गया। इसके अलावा ये भी आरोप लगाया कि पुलिस किशोरी को बालिग बता रही है। मामला मदनपुर प्रखंड अंतर्गत सलैया थाना क्षेत्र के एक गांव का है। सलैया थानाध्यक्ष कन्हैया शर्मा ने कहा, परिजन के आरोप बेबुनियाद हैं। दोनों को शनिवार को थाना लाया गया था। पूछताछ के बाद रविवार को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया। परिजनों के आवेदन के आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। दस्तावेजों में लड़की नाबालिग है। लड़की की ओर से भी एक जन्म प्रमाण पत्र दिया गया है, जिसमें वह बालिग है। यह प्रमाण पत्र सदर अस्पताल में उसकी मां ने बनवाया है। सोमवार को किशोरी का फर्द बयान कराया जाएगा। इसके बाद उसे न्यायालय को सौंपा जाएगा। जेल में बंद करने की धमकी दी लड़की के चाचा ने कहा है कि बच्ची के अपहरण के बाद मैंने उसे फोन किया था। फोन पर वो बोली मेरा अपहरण हो गया है। कहां लाया गया है पता नहीं। नशा का दवा खिलाया गया है। 10 जुलाई की रात 12 बजे थाने पर मुझे बुलाया जा रहा था। कहा जा रहा था कि अभी आओ और आवेदन बदलो, डेट आज का दो। मैंने मना कर दिया था। मैंने कहा था कि रात के समय में मैं सुरक्षित नहीं हूं। मैं सुबह आऊंगा। मैं सुबह 6 बजे थाने पर गया था। आवेदन नहीं बदलने पर मुझे जेल में बंद करने की धमकी दी गई। मैंने कहा कि मैं कोर्ट जाऊंगा। मैं किसी तरह थाने से निकल गया। बाद में मुझे फिर से थाने से फोन किया गया। पुलिस ने मुझसे कहा कि थाने पर आओ केस मैनेज कर देंगे। अस्पताल से जो जन्म प्रमाण दिया गया वो गलत है। जन्मतिथि 1 जनवरी 2011 से जिसे 1 जनवरी 2006 कर दिया गया। आधार कार्ड और स्कूल के दस्तावेज दिखाए किशोरी के चाचा ने बताया कि पुलिस के अनुसार लड़की बालिग है। आधार कार्ड और स्कूल के दस्तावेज दिखाए, जिससे साबित होता है कि वह नाबालिग है। परिजन का आरोप है कि वह प्रमाण पत्र फर्जी है। रविवार को पुलिस किशोरी को लेकर मेडिकल जांच के लिए सदर अस्पताल पहुंची। वहां परिजन भी पहुंच गए और हंगामा करने लगे। रविवार होने के कारण जन्म प्रमाण पत्र काउंटर बंद था। इस कारण यह पता नहीं चल सका कि प्रमाण पत्र किसने बनवाया।